Ias preparation
मेरे आईएएस की तैयारी करने वाले मित्र अवश्य पढ़े !!! सोलह, सत्रह साल की छोटी सी उम्र मे गावं की पगडंडीयों से उठकर जब एक लड़की/ लड़का
खड़खड़ाती हुई बस में अपनें हौसलों के उड़ान के
साथ बैठता है तब उसके दिमाग में बत्तियां जलती है
वो बत्तियां लाल/ नीली होती हैं !!
मेरे तमाम आईएएस की तैयारी करनें वाले मित्रो के
लिए !!
आज मायूस है तू, आज डरा हुआ है तू
आखिर क्या मायूस होना जीत है?
क्या डर के खामोश बैठ जाना जीत है?
अरे तू कभी खूद्दार हुआ करता था
अरे तू कभी रात-रात पढाई करता रहता था
फिर आज ये डर कैसा ये मायूसी कैसी
क्या भूल गया वो पल जब तुमने घर से बैग उठाया
था अकेले दिल्ली जानें को;
क्या बोला था दोस्त को, क्या बोला था जलने वालों
को
अरे उस वक्त को याद कर जब तू अलग था
अरे उस वक्त को याद कर जब तू ट्रेन में बैठा था
अरे उस मुसाफिर को याद कर जिसे आईएएस बनने
की ट्रेन में बोला था !
याद आ गये ना वो दिन जब सपनों को इज्जत माना
जाता था
याद आ गये ना वो दिन जब दोस्त को पढाई के
बहाने ना बोला जाता था !
याद कर वो दिन जब अकेले में किसी को कहा था कि
आईएएस बनूंगा !
क्यूं चुप है अब,क्यूं सोया है अब
अरे दो दिन में पहाड़ नही उखड़ते
अरे अपनी आत्मा को जगा अपनी शक्ति को
पहचान मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरी बहन !
तू ही एक है जो तेरे सपने पूरे कर पायेगा कोई और
नहीं !
याद कर उस मजदूर को जिसे रोटी नही मिलती
याद कर उस बच्चे को जिसकी जिंदगी प्लेटफार्म
पर गुजरती है
अरे याद कर उस दिन को जिस दिन उस आफिस मे
तेरा काम ना हुआ था!
याद कर उस दिन को जब तेरे आंखो के सामने
अन्याय हुआ था!
याद कर जब कोई गाड़ी तुम्हारे पास से ऐसे गुजरी
मानो अमीरी दिखा रही हो !
याद कर वो दिन जब बहन के साथ था और सोच
रहा था घर कितना जल्दी पहुंच जाए !
याद कर माँ की वो कहानी जब माँ रोई थी !
अरे क्या ये जुल्म नही और तू हिम्मत हारा तो कौन
खत्म करेगा इन्हे !
भूखे को रोटी कौन दिलायेगा, सड़क पर पैदा हुए
बच्चों को कौन स्कूल दिखलायेगा !
अरे सब बदलना चाहता है ना तू
दुराचारीयों से बदला लेना चाहता है ना तू अरे अपनें लिए नही सही अपने गांव, अपने जिले, अपनें देश के लिए ही सही!
अरे उन गावं के भाईयों के लिए ही सही जो हमेशा ये कहते हुए उत्साह बढाते रहते हैं कि आईएएस बनने के बाद हर साल रात्रिकालीन क्रिकेट मैच आयोजित हो सके गांव में ! अरे अपने घर को याद कर जिसका छप्पर अभी
खड़खड़ाती हुई बस में अपनें हौसलों के उड़ान के
साथ बैठता है तब उसके दिमाग में बत्तियां जलती है
वो बत्तियां लाल/ नीली होती हैं !!
मेरे तमाम आईएएस की तैयारी करनें वाले मित्रो के
लिए !!
आज मायूस है तू, आज डरा हुआ है तू
आखिर क्या मायूस होना जीत है?
क्या डर के खामोश बैठ जाना जीत है?
अरे तू कभी खूद्दार हुआ करता था
अरे तू कभी रात-रात पढाई करता रहता था
फिर आज ये डर कैसा ये मायूसी कैसी
क्या भूल गया वो पल जब तुमने घर से बैग उठाया
था अकेले दिल्ली जानें को;
क्या बोला था दोस्त को, क्या बोला था जलने वालों
को
अरे उस वक्त को याद कर जब तू अलग था
अरे उस वक्त को याद कर जब तू ट्रेन में बैठा था
अरे उस मुसाफिर को याद कर जिसे आईएएस बनने
की ट्रेन में बोला था !
याद आ गये ना वो दिन जब सपनों को इज्जत माना
जाता था
याद आ गये ना वो दिन जब दोस्त को पढाई के
बहाने ना बोला जाता था !
याद कर वो दिन जब अकेले में किसी को कहा था कि
आईएएस बनूंगा !
क्यूं चुप है अब,क्यूं सोया है अब
अरे दो दिन में पहाड़ नही उखड़ते
अरे अपनी आत्मा को जगा अपनी शक्ति को
पहचान मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरी बहन !
तू ही एक है जो तेरे सपने पूरे कर पायेगा कोई और
नहीं !
याद कर उस मजदूर को जिसे रोटी नही मिलती
याद कर उस बच्चे को जिसकी जिंदगी प्लेटफार्म
पर गुजरती है
अरे याद कर उस दिन को जिस दिन उस आफिस मे
तेरा काम ना हुआ था!
याद कर उस दिन को जब तेरे आंखो के सामने
अन्याय हुआ था!
याद कर जब कोई गाड़ी तुम्हारे पास से ऐसे गुजरी
मानो अमीरी दिखा रही हो !
याद कर वो दिन जब बहन के साथ था और सोच
रहा था घर कितना जल्दी पहुंच जाए !
याद कर माँ की वो कहानी जब माँ रोई थी !
अरे क्या ये जुल्म नही और तू हिम्मत हारा तो कौन
खत्म करेगा इन्हे !
भूखे को रोटी कौन दिलायेगा, सड़क पर पैदा हुए
बच्चों को कौन स्कूल दिखलायेगा !
अरे सब बदलना चाहता है ना तू
दुराचारीयों से बदला लेना चाहता है ना तू अरे अपनें लिए नही सही अपने गांव, अपने जिले, अपनें देश के लिए ही सही!
अरे उन गावं के भाईयों के लिए ही सही जो हमेशा ये कहते हुए उत्साह बढाते रहते हैं कि आईएएस बनने के बाद हर साल रात्रिकालीन क्रिकेट मैच आयोजित हो सके गांव में ! अरे अपने घर को याद कर जिसका छप्पर अभी
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