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Article 370

1947 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला को अनुच्छेद 370 तैयार करने के लिए अंबेडकर से सलाह लेने को कहा। अंबेडकर इसके लिए राजी नहीं हुए तब शेख अब्दुल्ला ने यह ड्राफ्ट तैयार किया। वह इस अनुच्छेद को स्थायी तौर पर लागू करना चाहते थे, लेकिन केंद्र ने नहीं माना। ये हैं मुख्य प्रावधान -अनुच्छेद 370 के अनुसार, भारतीय संसद को केवल रक्षा, विदेश, वित्त व संचार मामलों में कानून बनाने का अधिकार है। -अन्य कानूनों को लेकर राज्य सरकार से अनुमोदन लेना जरूरी है। -भारतीय संसद राज्य की सीमाएं घटा-बढ़ा नहीं सकती है। -तिरंगे के अलावा जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा है। -भारत के दूसरे राज्यों के लोग इस राज्य में भूमि नहीं खरीद सकते। -वहां के लोगों के पास दोहरी नागरिकता है। -विधानसभा का कार्यकाल भी छह वर्ष का है। -शिक्षा व सूचना का अधिकार जैसे कानून और सीबीआइ, कैग जैसी एजेंसियां भी यहां लागू नहीं होती।

अनुच्छेद 35A

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  We the citizens नामक एनजीओ ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट को एक याचिका लगाई जो जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 35A से संबंधित था 2 साल के बाद मोदी सरकार ने न्यायिक डिसीजन करने का याचिका दायर की। उसके बाद से ही 35 A का बहस बहुत चर्चित हो गया सबसे पहले जानते हैं 35A अनुच्छेद क्या बताता है??? जम्मू कश्मीर की विधानसभा को यह  अधिकार देता है कि वह स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सकें और उंहें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके। भारत के किसी कानून को नहीं मानने यह प्रावधान है दूसरे शब्दों में भारत के किसी भी नागरिक को जम्मू-कश्मीर में वहां की नागरिकता नहीं ले सकता वही जम्मू कश्मीर के नागरिक अपने राज्य के अतिरिक्त दूसरे राज्यों में भी नागरिकता बन सकते हैं 35A जिसका जिक्र किसी संविधान कि किसी भी किताबें नहीं मिलता हालांकि संविधान में 35 a( स्मॉलर a) जरूर है लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं है आज तक जितना भी संशोधन किताबों में मिलता है परंतु अनुच्छेद 35A संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट( अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है ताकि लोगों को इसकी जानकारी कम हो

समाज और अर्थव्यवस्था== मैक्स वेबर

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9                  समाज और अर्थव्यवस्था~~ मैक्स वेबर Max Weber (1897) Definition of Sociology:- समाजशास्त्र (जिस अर्थ में यह बेहद अस्पष्ट शब्द यहाँ प्रयोग किया जाता है) एक ऐसा विज्ञान है जो सामाजिक क्रिया की व्याख्यात्मक समझ का प्रयास करता है ताकि उसके पाठ्यक्रम और प्रभावों के कारणों का स्पष्टीकरण आ सके। "कार्रवाई" में सभी मानव व्यवहार शामिल हैं और जब तक अभिनय व्यक्ति इसे एक व्यक्तिपरक अर्थ को जोड़ता है। इस अर्थ में कार्रवाई या तो अति या विशुद्ध रूप से आवक या व्यक्तिपरक हो सकती है; इसमें स्थिति में सकारात्मक हस्तक्षेप हो सकता है, या जानबूझकर इस तरह के हस्तक्षेप से परहेज किया जा सकता है या स्थिति में सक्रिय रूप से स्वीकार्य हो सकता है। कार्य सामाजिक रूप से है, जैसा कि अभिनय व्यक्ति (या व्यक्ति) द्वारा उस व्यक्ति के साथ जुड़ा व्यक्तिपरक अर्थ के आधार पर होता है, यह दूसरों के व्यवहार के बारे में बताता है और उसके माध्यम से उसके पाठ्यक्रम में उन्मुख होता है। समाजशास्त्र की मेथोडॉलॉजिकल फाउंडेशन 1. "अर्थ" दो प्रकार का हो सकता है। यह
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एक कदम ऊंचाई की तरफ महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी हायर एजुकेशन के मामले में बिहार बहुत पीछे था जिस के संदर्भ में सांसद अधिनियम के अधीन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई(2016) इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति महोदय डॉ अरविंद अग्रवाल जी हैं जो भारत की एक बड़े समाजशास्त्री के रूप में भी जाने जाते। आज पूरे चंपारण वासियों को इस विश्वविद्यालय के खुलने के साथ-साथ इतने योग्य कुलपति महोदय साथ ही शिक्षक इस विश्वविद्यालय के छात्रों की भविष्य की मार्गदर्शन देने के लिए विभिन्न विभिन्न स्थानों से पधारे हुए हैं मैं तहे दिल से उन सभी प्रिय शिक्षक को स्वागत करता हूं जिन्होंने चंपारण की धरती पर आने के प्रति रुचि प्रकट की। विश्व विद्यालय अपने नियत समय पर भूमि  ना उपलब्ध होने से जिला स्कूल के कैंपस से अपने छात्रों को हायर एजुकेशन प्रदान कर रही है परंतु(2017) के नए बैच के विद्यार्थियों को इस बार निराश पूर्ण होना स्वभाविक है क्योंकि भूमि उपलब्ध ना होने के संदर्भ में यह सब चालू नहीं हो पाएगा संभवता। राज्य सरकारी अभी तक ना कोई भूमि उपलब्ध करा रही है नहीं कुछ इस पर व्य
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सोच बदलो इस्लाम धर्म में फतवा (अरबी)मजहब के जानकार व्यक्ति द्वारा दिया गया राय है फतवा शब्द से तात्पर्य मुस्लिम लोग के मुताबिक किसी निर्णय पर नोटिफिकेशन जारी करना दो शब्द में राय कहते हैं यह कोई कानून नहीं है जिस पर डरना चाहिए यह एक राय है और कोई भी फतवा नहीं दे सकता जब तक उसे इस्लाम की पूरी जानकारी नहीं है फतवा देने के लिए एक अथॉरिटी होती है जो पूरी तरह सोच विचार कर अपना निर्णय देती है अगर फतवा को जबरदस्ती से लागू कराया जाता है तो वह गलत है क्योंकि इस्लाम जोर जबरदस्ती की इजाजत खुद ही नहीं देता। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जहां अखंडता एकता सद्भावना की पुष्प खिलती है जिस पुष्प से भारत  सौरभ सा एकता के बंधन में बंधे रहते हैं भारत धर्मनिरपेक्ष होने के साथ-साथ प्रत्येक धर्म में धर्मगुरुओं की प्रधानता देखने को मिलती है लोगों की अपने धर्मगुरुओं से अपने समस्या का निदान के सहयोग के लिए जाते हैं परंतु आज के संदर्भ में देखें फतवा का स्वरुप पर दिया जा रहा है हाल ही के दिनों में असम में 46 मौलानाओं ने मिलकर सिंगर नाहिद आफरीं की म्यूज़िकल नाइट के खिलाफ पर्चे बंटवाए हैं. वे चाहते हैं कि लोग नाह

स्वच्छता

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7 मित्रों आज जगह जगह भारत में एक ही हल्ला बोल है चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार हो किसी की नीतियां पूर्ण रुप की बात तो छोड़ दी जाए तो जमीनी हकीकत पर नहीं दिखता इस वैश्वीकरण की दुनिया में भारत को अगर विकसित राष्ट्र में आना है तो सर्वप्रथम स्वच्छता को अपनाना होगा क्योंकि आप चीन को   देख लो तो आप पाओगे वहां सबसे पहले स्वच्छता का अभियान चला था कि धीरे-धीरे अपने नीतियों को क्रियांवित करते हुए विश्व का बड़ी अर्थव्यवस्था संभाल रहा है मैं यह बिहार में एक विद्यालय का तस्वीर है जहां इतनी गंदगी फैली हुई है फिर भी ना राज्य की सरकारी से देखती है और ना ही यहां के केबिनेट मिनिस्टर धन्यवाद पढ़ने के लिए।